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लेखनी प्रतियोगिता -21-Dec-2022


कवियों का निर्मल धाम
लेखनी ग्राम
सुहानी शाम
कभी तुम भी आओ

कविता का सुंदर रूप
कवित्व की धूप
नवीन अनूप
कभी देखते जाओ।

कविता के अगणित छोर
रसमयी भोर
न ऐसा ठौर
बस यहीं रह जाओ।

भाव भरे कुछ छंद
परम आनन्द
मोह के फंद
इन्हीं में बंध जाओ।

बहती कविता की धार
करे सत्कार
चलो उस पार
यहीं न रुक जाओ
कभी तुम भी आओ।।



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5 Comments

Woow लाजवाब

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Sachin dev

31-Dec-2022 06:11 PM

Well done

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Swati chourasia

22-Dec-2022 06:46 AM

वाह बहुत ही खूबसूरत रचना 👌👌😊

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